PARIVARTINI EKADASHI 2021 IN HINDI-जाने पार्श्व एकादशी की पौराणिक कथा।
Parivartini Ekadashi 2021-इस वर्ष 17 सितम्बर 2021 को है। हिन्दू पंचांग के अनुसार महीने की ग्यारहवी तिथि को एकादशी होती है , महीने में दो पक्ष पड़ने के कारण हर महीने में 2 एकादशी होती है , एक शुक्ल पक्ष में तथा दूसरी कृष्ण पक्ष में इसलिए साल में 24 एकादशी आती है परंतु अधिक मास की स्थिति में 26 एकादशी भी हो सकती है। इस लेख में जाने पार्श्व एकादशी तिथि, शुभ मुहूर्त, पारण मुहूर्त ,पूजा विधि, महत्व,और परिवर्तिनी एकादशी की कथा।
parivartini ekadashi |
Parsva Ekadashi tithi 2021 /परिवर्तिनी एकादशी कब है
एकादशी तिथि - शुक्रवार 17 सितम्बर 2021
एकादशी तिथि प्रारम्भ -16 सितम्बर 09: 40 am
पार्श्व एकादशी तिथि समाप्त -17 सितम्बर 2021 08: 10 am
पारण मुहूर्त :18 सितम्बर -06: 07 am मिनट से 08: 34 मिनट
अवधि 2 घंटे 27 मिनट
पार्श्व या परिवर्तिनी एकादशी का महत्व
आइये जानते हैं parivartini ekadashi 2021 का महत्व ,पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु शयन करते हुए बाए से दायी तरफ स्थान परिवर्तन करते हैं ,इसलिए इसे परिवर्तिनी एकादशी भी कहा जाता है। यह एकादशी और नामों से भी जाना जाता है जैसे की पद्मा एकादशी , वामन एकादशी,जयंती एकादशी । पार्श्व एकादशी में भगवान विष्णु के साथ माँ लक्ष्मी की भी पूजा करनी चाहिए, इससे माता लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है ,इस व्रत को रखने से वाजपेय यज्ञ के समान फल मिलता है।
पार्श्व /परिवर्तिनी एकादशी व्रत और पूजा विधि /Parivartini Ekadashi Puja Vidhi.
- एकादशी व्रत एकादशी से एक दिन पूर्व ही शुरू हो जाता है ,जो साधक व्रत रखते है उन्हें एकादशी तिथि से एक दिन पहले ही सूर्यास्त के बाद भोजन नहीं करना चाहिए जिससे पेट में अन्न न हो.
- व्रत के दिन सुबह स्नान अदि से निवृत्त होकर श्री हरी का स्मरण करें और हाथ में पुष्प लेकर व्रत का संकल्प लें , व्रत में किसी भी तरह का अन्न खाना वर्जित है.
- उपासक दूध , दही , फल ले सकते हैं , जो व्यक्ति व्रत नहीं रख सकते हैं उन्हें भी अपने भोजन में चावल नहीं खाना चाहिए। ऐसी मान्यता है की इस दिन चावल में ही सारे पाप होते हैं।
- पूजा में श्री हरी को तुलसी अवश्य अर्पित करें। उपासक व्रत के दिन किसीकी निंदा न करें न ही किसीको अपशब्द कहें।
- व्रत के दूसरे दिन यानि की द्वादशी को सुबह स्नान करके विष्णु भगवान् की पूजा करें और किसी ब्राह्मण को भोजन करवाएं या फिर सीधा (अनाज जैसे की चावल ,दाल, आटा सब्जी आदि ) किसी ब्राह्मण को दान करें और दक्षिणा देकर विदा करें ,तत्पश्चात पारण करें।
पार्श्व एकादशी में श्री हरी के पांचवे अवतार वामन अवतार की पूजा होती है , वामन अवतार भगवान विष्णु के त्रेता युग में पहले अवतार हैं, साथ ही श्री हरी के पहले अवतार जो मानव रूप में प्रकट हुए , वामन अवतार बौने ब्राह्मण का रूप है। एक समय की बात है जब दैत्य राजा बलि ने इंद्र को परास्त करके स्वर्ग पर अधिकार कर लिया , ऐसी स्थिति में इंद्र की माता अदिति ने विष्णु की आराधना की तब श्री हरी ने समय आने पर देवी अदिति के गर्भ से वामन रूप में अवतार लिया।
एक दिन जब राजा बलि ने अश्वमेघ यज्ञ कर रहे थे तब ब्राह्मण वामन वहाँ पहुँच गए वहां वामन का राजा बलि ने खूब सत्कार किया और अंत में जब ब्राह्मण वामन को दक्षिणा देने की बारी आई तब भगवान विष्णु ने वामन अवतार में राजा बलि से राज्य के तीन पग भूमि मांग लिया , राजा ने उन्हें तीन पग भूमि देना स्वीकार कर लिया तब वामन का अवतार विराट हो गया और उन्होंने एक पग में पृथ्वी , दूसरे पग में स्वर्ग को नाप लिया , तीसरा पग रखने के लिए कोई स्थान नहीं था तब राजा बलि ने अपना मस्तक आगे किया और कहा प्रभु संपत्ति का स्वामी संपत्ति से बड़ा होता है तीसरा पग मेरे मस्तक पर रख दें , इससे ब्राह्मण वामन प्रसन्न हो गए और राजा बलि को पाताल का अधिपति बना दिया और देवताओं को उनके भय से मुक्ति दिलाई।
PARSVA/ Parivartini Ekadashi 2021 in hindi पार्श्व या परिवर्तिनी एकादशी व्रत कथा पूजा विधि महत्व और पारण समय की पूरी जानकारी।
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