Padmini Ekadashi Kab hai-जाने व्रत विधान शुभ मुहूर्त और कथा

Padmini Ekadashi 2021 kab hai -हिन्दू धर्म में वैसे तो अनेकों व्रत एवं त्यौहार मनाये जाते  हैं परन्तु एकादशी व्रत एक बहुत ही महत्वपूर्ण व्रत है ,वर्ष में 24 एकादशी आती है परन्तु जब अधिक मास या मलमास आता  है तब इनकी संख्या 26 हो जाती है। इस वर्ष आश्विन मास में अधिक मास लगने के कारण इस वर्ष एकादशी की संख्या 24 से 26 हो गयी  है। पद्मिनी एकादशी अधिक मास में शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी  है, इसे कमला एकादशी या पुरुषोत्तम एकादशी भी कहते हैं , अधिक मास को लीप के महीने के नाम से भी जाना जाता है। अधिकमास में 2 एकादशी  अधिक आती है जिसमें से पद्मिनी एकादशी भी एक अत्यंत  पुण्य दायिनी एकादशी है। आइए जानते हैं . पद्मिनी एकादशी कब है। 

padmini ekadashi
padmini ekadashi 

पद्मिनी एकादशी तिथि : Padmini Ekadashi 2020 Kab Hai /  पद्मिनी एकादशी 2020 कब है। 
27 सितम्बर 2020 

 पद्मिनी एकादशी 2020 शुभ मुहूर्त 

 एकादशी तिथि प्रारम्भ - 26   सितम्बर2020  शाम  6 बजकर 59 मिनट से

 एकादशी तिथि समाप्त -27 सितम्बर2020    शाम 7 बजकर 46 मिनट तक

 पद्मिनी एकादशी पारण मुहूर्त :  28 सितम्बर  सुबह 06 :12:41 से 08 :36 :09  तक (अवधि :2 घंटे 23 मिनट )

पद्मिनी एकादशी 2020 का महत्व :Padmini Ekadashi 2020 Significance


यह तो आप जान ही गए हैं की पद्मिनी  एकादशी कब है ,एकादशी तिथि, मुहूर्त पारण  समय, अब जानते हैं एकादशी व्रत का महत्व।
  • निसंतान दंपत्ति को पद्मिनी एकादशी का व्रत करने से संतान सुख की प्राप्ति होती हैं।

  • सच्चे भाव से भगवान विष्णु की पूजा  और व्रत करने से जाने अनजाने किये गए पाप भी नष्ट हो जाते हैं।

  • पद्मिनी एकादशी तीन साल में  एक बार आती  है तो इसका महत्व भी बढ़ जाता है।

  • जो मनुष्य विधि विधान से पद्मिनी एकादशी का व्रत पालन  करता है वह विष्णु लोक को जाता है।

  • इस एकादशी में पूजा पाठ ब्राम्हण को दान दक्षिणा देना और धार्मिक कार्यों को विशेष महत्व है।

पद्मिनी एकादशी पूजा विधि /Padmini ekadashi 2020 Puja Vidhi

  • एकादशी व्रत दशमी  तिथि से ही शुरू हो जाता हैं , व्रती को  दशमी के दिन सूर्यास्त के बाद भोजन ग्रहण नहीं करना चाहिए , जिससे पेट में अन्न न हो।

  • व्रत के दिन सुबह स्नान अदि से निवृत होकर श्री हरी  का स्मरण करें और हाथ में पुष्प लेकर व्रत का संकल्प लें।

  • पद्मिनी एकादशी के दिन निर्जला व्रत रखा जाता है यदि संभव हो तो इस दिन निर्जला व्रत रखें , या फलाहार भी ले सकते हैं।

  • भगवान विष्णु की विधि पूर्वक पूजा करें , श्री हरी को पीले  फूल और पीले  वस्त्र अर्पित करें , धूप दीप  जलाकर  आरती करें  आरती के बाद पीले  मिठाई का भोग लगाएं।

  • विष्णु पुराण का पाठ करें , रात्रि में भजन कीर्तन करते हुए जागरण करें।

  • द्वादशी के दिन प्रातः भगवान की पूजा करें , ब्राह्मण को भोजन करायें और दक्षिणा  देकर विदा करें।

  • पारण के सही समय में ही  पारण करें।
September 2020 Mein Ekadashi Kab Hai/ in hindi
PADMINI EKADASHI

 पद्मिनी एकादशी व्रत कथा :Padmini Ekadashi 2020 Vrat Katha.

 त्रेता युग में एक पराक्रमी राजा कीतृवीर्य था जिसकी बहुत रानियां थी, परन्तु राजा को एक भी संतान नहीं थी। संतानहीन होने के कारण राजा और उनकी रानियां सुख  सुविधाओं के बावजूद भी दुखी रहते थे राजा को इस बात की चिंता सता रही थी की  उनके जाने के बाद उनका राज पाठ कौन संभालेगा , संतान सुख की प्राप्ति के लिए राजा अपनी एक रानी पद्मिनी (रानी पद्मिनी के नाम पर ही इस  एकादशी को पद्मिनी  एकादशी कहते हैं )के साथ तपस्या करने जंगल चले गए , राजा ने  हज़ारों वर्ष तक तपस्या की परन्तु उनकी तपस्या सफल नहीं रही , जिसके बाद उनकी एक रानी ने देवी अनुसूया से उपाय पूछा देवी  ने उन्हें  मलमास की शुक्ल पक्ष की एकादशी का व्रत करने के लिए कहा।

 रानी ने तब देवी के बताए हुए  विधि विधान के अनुसार पद्मिनी एकादशी का व्रत रखा  , व्रत के समाप्त होने पर भगवान विष्णु प्रकट हुए और उन्हें वरदान मांगने को कहा ,रानी ने कहा प्रभु यदि आप मुझपर प्रसन्ना हैं तो मेरे पति को वरदान दीजिए ,राजा ने तब भगवान  से प्रार्थना करते हुए कहा की मुझे ऐसा पुत्र प्रदान करें जो सर्वगुण सम्पन्न हो और जो तीनो लोकों में आदरणीय हो और आपके अतिरिक्त किसी से परास्त न हो , भगवान ने तथास्तु कहा और अदृश्य  हो गए ,कुछ समय बाद रानी ने एक बालक को जन्म दिया जो कार्तवीर्य अर्जुन के नाम से जाना गया , कालान्तर में यह बालक अत्यंत पराक्रमी राजा हुआ जिसने रावण को भी बंदी बना लिया था।

ऐसा कहा जाता है की भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को पद्मिनी एकादशी के व्रत की कथा सुनाकर इसके महत्व से अवगत कराया था।

 Padmini Ekadashi 2020 Kab Hai, पद्मिनी एकादशी कब है , व्रत विधान , कथा , महत्व और पारण का सही समय।  

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