Navratri 2021 date-शरद नवरात्री कलश स्थापना शुभ मुहूर्त, विधि, मंत्र,सामग्री के साथ
Navratri 2021 - शारदीय नवरात्रि आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिप्रदा से प्रारम्भ होता है और नौ दिन तक चलने वाले, इस पर्व में माँ दुर्गा की भक्ति बड़े उत्साह से की जाती है। इस वर्ष शारदीय नवरात्रि , 7 अक्टूबर से शुरू हो रही है। पितृ पक्ष समाप्त होते ही, शारदीय नवरात्री आरम्भ हो जाते है। नवरात्र के पहले दिन घट स्थापना की जाती है.घट स्थापना के दिन से नवरात्र प्रारम्भ हो जाते हैं। नौ दिन तक माँ दुर्गा की विधि विधान से पूजा होती है और अष्टमी नौमी में कन्या पूजन और हवन का विशेष महत्व है।
इस लेख में हम जानेंगे नवरात्री कलश स्थापना तिथि से नवमी तिथि, नवरात्री का महत्व, कलश स्थापना तिथि और शुभ मुहूर्त, कलश विसर्जन तिथि व मुहूर्त ,कलश स्थापना मंत्र, माँ दुर्गा के 4 विशेष सबसे प्रिय मंत्र, कलश स्थापना सामग्री, कलश स्थापना विधि, क्या आप जानते हैं नवरात्रि साल में कितनी बार आती है ? आप यह जानकार दंग रह जाएंगे की नवरात्रि साल में 4 बार अति है, उनके नाम इस प्रकार हैं।1) आश्विन या शारदीय नवरात्रि (OCTOBER-NOVEMBER)
2)चैत्र या बसंती नवरात्रि (MARCH-APRIL)
3 ) आषाढ़ नवरात्रि (JUNE-JULY)
4 )पौष नवरात्रि (JANUARY-FEBRUARY)
शरद ऋतु में पड़ने के कारण ही आश्विन नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि कहा जाता है | चैत्र नवरात्रि को बसंती नवरात्रि भी कहा जाता है क्योक़ि ये बसंत ऋतु में पड़ता है |और असाढ़ या पौष , माघ नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है , गुप्त नवरात्रि को त्यौहार के रूप में तो नहीं मनाया जाता परंतु तांत्रिक इस नवरात्रि को तंत्र विद्या प्राप्त करने के लिए देवी की पूजा करते हैं |
Kalash sthapana mantra in hindi and english
Navratri 2021 -कलश स्थापना की तिथि और शुभ मुहूर्त /घट स्थापना मुहूर्त
कलश स्थापना की तिथि 7 october 2021
कलश स्थापना शुभ मुहूर्त : 06 : 16 : 56 से 10: 11 : 33 तक
अवधि : 3 घंटे 54 मिनट
दुर्गा विसर्जन 2021 date /तारीख़ व मुहूर्त
दुर्गा विसर्जन - शुक्रवार 15 अक्टूबर 2021
दुर्गा विसर्जन मुहूर्त -06 : 21 ; 33 से 08 : 39 : 39
अवधि : 2 घंटे 18 मिनट
NAVRATRI 2021 START DATE AND END DATE /नवरात्रि कलश स्थापना तिथी से नवमी तिथी
Navratri 2021 |
नवरात्रि का महत्व
- एक वर्ष में 4 नवरात्रि अति है। परन्तु शारदीय और चैत्र नवरात्रि बहुत लोकप्रिय है।
- शारदीय नवरात्रि अधर्म पर धर्म और असत्य पर सत्य की विजय का प्रतिक है , ऐसी मान्यता है की नवरात्रि के नौ दिन माँ दुर्गा अपने भक्तों के बीच पृथ्वी पर आकर निवास करती हैं।
- माँ की कृपा अपने बच्चों पर हमेशा बनी रहती है, परन्तु नवरात्रि के दौरान माँ दुर्गा का विधि विधान से पूजा , अर्चना करने से माँ दुर्गा का विशेष फल , अर्शीवाद प्राप्त होता है |
- नवरात्र में घट (कलश ) स्थापना का विशेष महत्व है , नवरात्र की शुरुआत घट स्थापना से ही होता है , सूर्योदय के बाद अभिजीत महूर्त में कलश स्थापना करना शुभ माना जाता है | ऐसी मान्यता है की गलत समय में कलश स्थापना करने से माँ दुर्गा क्रोधित हो सकती हैं ,
- घट स्थापना रात के समय या अमावस्या के दिन नहीं करनी चाहिए। घट स्थापना का सबसे उत्तम समय प्रतिप्रदा का एक तिहाई भाग बीत जाने के बाद होता है , अगर इस समय में घट स्थापना न कर पाऐं तो अभिजीत मुहूर्त में भी घट स्थापना कर सकते हैं।
- प्रत्येक दिन का आठवां मुहूर्त अभिजीत मुहूर्त कहलाता है सामान्यतः यह 40 मिनट का होता है .
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Kalash Sthapana Mantra/कलश स्थापना मंत्र :
कलशस्य मुखे विष्णु :कण्ठे रुद्रा :समाश्रितः |
मुले त्वस्य स्थितो ब्रम्हा मध्ये मातृगणा : स्मृता :||
अर्थात : कलश के मुख में विष्णुजी, कण्ठ में रूद्र,मूल में ब्रम्हाजी कलश के मध्य में सभी मातृशक्तियां निवास करती हैं |
अगर आप बिना मंत्र के स्थापना करना चाहते हैं, तो मन में सभी देवी देवता और गंगा, यमुना ,सरस्वती और सभी पवित्र नदियों का ध्यान करके स्थापना कर सकते हैं ,
Navratri 2021 |
1 )सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके |
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोस्तुते ||
2 )ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनि |
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा नमोस्तुते ||
3 )या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता ,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||
या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता ,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||
या देवी सर्वभूतेषु तृष्टिरूपेण संस्थिता ,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||
या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता ,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||
या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता ,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||
या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता ,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||
या देवी सर्वभूतेषु शान्तिरुपेण संस्थिता ,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||
4 ) नर्वाण मंत्र “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै “ का जाप अधिक से अधिक अवश्य करें |
कलश स्थापना सामग्री / Kalash Sthapana Samagri
- मिट्टी ,तांबा , या सोने, चांदी का कलश
- दूर्वा , इत्र,चंदन ,चौकी ,लाल कपड़ा ,सफ़ेद कपड़ा ,लाल चूनरी
- धुप ,दीप ,अबीर, गुलाल ,कुमकुम ,सिंदूर ,हल्दी ,चावल
- फूल,फल (5 प्रकार के फल भोग लगाने के लिए )
- सुपारी 11
- रोली ,मौली ,जौ ,लौंग ,इलाइची ,पान का पत्ता
- पंचामृत (दूध ,दही, गंगाजल ,सहद,शक्कर ,शुद्ध घी
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नवरात्रि कलश स्थापना विधि / Navratri Kalash Sthapana Vidhi
- नवरात्रि के प्रतिप्रदा के दिन घर की साफ़ सफाई ,स्नान आदी से निवृत होकर घट स्थापना की तैयारी करें ,
- सबसे पहले पूजा सामग्री एकत्रित कर लें , कलश स्थापना घर के इशांत (पूर्व -उत्तर ) कोने में ही होना चाहिए ,वास्तु के अनुसार इशांत कोने में देवी देवता का वास होता है
- पूजा स्थल पर और पूजा सामग्री पर गंगा जल छिड़ककर पवित्र कर दें | पूजा स्थल पर चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं |
- सर्व प्रथम गणेश जी की स्थापना करें ,गणेश जी की स्थापना करने के लिए एक सुपारी को मौली (लाल धागा ) से लपेटकर एक सिक्के पर सुपारी ( गणेश) की स्थापना कर दें
- तत्पश्चात चौकी पर माँ दुर्गा की तस्वीर या मूर्ति को स्थापित करें , माँ की बाई ओर नवग्रह की स्थापना करें ,नवग्रह की स्थपना के लिए सफ़ेद कपड़ा बिछाए उसपर चावल के 9 कोष्ठक बनाएं और 9 सुपारी को लाल धागे से लपेटकर चावल के कोष्ठक पर रख दें |
- तत्पश्चात कलश के गले में मौली बाँध दें और कलश पर स्वस्तिक ज़रूर बनाएं , नारियल को लाल कपड़े से लपेटकर मौली से बांध दें ,कलश में जल भर दें , और उसमें सुपारी,गंगाजल, लौंग , इलाइची , हल्दी की गाँठ , पान पत्ता ,एक सिक्का , इत्र ,और अक्षत डालें |
- अब एक मिटटी के पात्र में या ज़मीन पर ही स्वच्छ मिट्टी रखकर उसमें जौ (जवारे ) के बीज बोएं , मिट्टी पर कलश रखकर ,कलश पर अशोक या आम के 5 पत्ते लगाएं ,फिर पत्तों पर नारियल रख दें , अब तेल या शुद्ध घी का अखंड दीपक जलाएं ,अब कलश स्थापना संपूर्ण हो चुकी है
- कलश स्थापना विधि विधान से करने के बाद दाहिने हाथ में जल लेकर व्रत का संकल्प लें सभी देवी देवताओं का आह्वाहन करें और दुर्गा पूजा प्रारंभ करें, कलश और जवारे पर ज़रूरत के हिसाब से पानी का छिड़काव करते रहे |
- स्थापन और पूजा के बाद माँ को फल मिठाई का भोग लगाएं और प्रसाद बाँट दें , नवरात्र के दौरान दुर्गा चालीसा और दुर्गा सप्तशी का पाठ ज़रूर करें |
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