Maa Shailputri-माँ शैलपुत्री व्रत कथा, मंत्र,भोग और आरती और उनकी विशेषताएं .

जाने Maa Shailputri /माँ शैलपुत्री व्रत कथा , मंत्र ,भोग और आरती और उनकी विशेषताएं| माँ दुर्गा की पहली शक्ति हैं माँ शैलपुत्री , नवरात्रि पूजा में प्रथम दिन माँ की पूजा और उपासना की जाती है | पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री रूप में उत्पन्न होने के कारण इनका नाम शैलपुत्री पड़ा | ये देवी के और भी नाम हैं जैसे की उमा पार्वती ,हेमवती ,वृषोरूढ़ा , माँ का वहान वृषभ है ,इसीलिए वह वृषोरूढ़ा के नाम से जानी जाती हैं |
Kalash sthapana mantra in hindi and english
maa shailputri

देवी सती का पुनर्जन्म है माँ शैलपुत्री , नवरात्र के पहले दिन इन्ही की पूजा होती है , पूजा में सभी नदियों,तीर्थों और दिशाओं का आह्वाहन किया जाता है | देवी के दाहिने हाथ में त्रिशूल है तो बाएं हाथ में कमल का पुष्प है , माँ का त्रिशूल पापियों का विनाश करता है और कमल साधक को ज्ञान और शांति प्रदान करता है | माँ को सफ़ेद रंग अतिप्रिय है | माँ को सफ़ेद रंग के पुष्प , वस्त्र और सफ़ेद रंग के भोग अवश्य चढ़ाने चाहिए | नवरात्र में सुबह शाम कपूर अवश्य जलने चाहिए , इससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है | कलश स्थापना के बाद हाथ में फूल लेकर माँ का ध्यान करें और प्रार्थना करें , माँ सरल भाव के प्रार्थना से ही शीघ्र प्रसन्ना हो जाती है और साधक को मन चाहा फल प्रदान करती हैं | पूजा पाठ में माँ शैलपुत्री के मंत्र का विशेष महत्व है , मंत्र इस प्रकार हैं |

Maa Shailputri Vrat Katha Mantra aur Aarti/  in hindi

माँ शैलपुत्री ध्यान मंत्र


वन्दे वाञ्छितलाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम् | वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्

Vande Vanchhitlabhay Chandrardhkritshekhram. Vrisharudham Shuldharam Shailputri Yashswinim.

माँ शैलपुत्री जाप मंत्र

इस मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करें
ॐ शं शैलपुत्री देव्यै : नमः |

माँ शैलपुत्री सत्रोत पाठ

प्रथम दुर्गा त्वंहि भवसागर: तारणीम् |
धन ऐश्वर्य दायिनी शैलपुत्री प्रणमाभ्यम् ||
त्रिलोजननी त्वंहि परमानंद प्रदीयमान |
सौभाग्यरोग्य दायनी शैलपुत्री प्रणमाभ्यहम् ||
चराचरेश्वरी त्वंहि महामोह: विनाशिन |
मुक्ति भुक्ति दायनीं शैलपुत्री प्रमनाम्यहम् ||

माँ शैलपुत्री प्रसाद भोग /Maa Shailputri Prasad Bhog

माँ शैलपुत्री को शुद्ध गाय के घी से बना भोग अर्पित करने से माँ आरोग्य का आशीर्वाद प्रदान करती हैं |

माँ शैलपुत्री की आरती / Maa Shailputri Ki Aarti

शैलपुत्री माँ बैल पर सवार | करें देवता जय जयकार |
शिव शंकर की प्रिय भवानी | तेरी महिमा किसी ने ना जानी |
 
पार्वती तू उमा कहलावे |जो तुझे सिमरे सो सुख पावे |
ऋद्धि -सिद्धि परवान करे तू | दया करे धनवान करे तू |
 
सोमवार को शिव संग प्यारी | आरती तेरी जिसने उतरी |
उसकी सगरी आस पुजा दो | सगरे दुख तकलीफ मिला दो |
 
घी का सुंदर दीप जला के | गोला गरी का भोग लगा के |
श्रद्धा भाव से मंत्र गाएं सहित फिर शीश झुकाएं |
 
जय गिरिराज किशोरी अंबे | शिव मुख चंद्र चकोरी अंबे |
मनोकामना पूर्ण कर दो | भक्त सदा सुख संपत्ति भर दो |
 
Maa Shailputri  ki Vrat Katha, Mantra,Bhog  aur Aarti/in hindi

माँ शैलपुत्री की कथा , माँ का नाम शैलपुत्री कैसे पड़ा |

माँ शैलपुत्री की कथा इस प्रकार है, माँ शैलपुत्री पूर्व जन्म में सती थी जो प्रजापति दक्ष की पुत्री थी और शिवजी की पत्नी | एक समय की बात है प्रजापति दक्ष ने एक विशाल यज्ञ का अनुष्ठान किया , उन्होंने यज्ञ में सभी देवी देवता को आमंत्रित किया परन्तु अपनी पुत्री सती और शिवजी को निमंत्रण नहीं भेजा , फिर भी माता सती अपने पिता के यहां जाने के लिए विचलित हो गयी , पहले तो शिवजी ने उन्हें समझाने का प्रयत्न किया की हमारा वहां जाना ठीक नहीं होगा शायद प्रजापति दक्ष हमसे रूठे हैं, इसलिए जानबूझ कर उन्होंने हमें आमंत्रित नहीं किया , अपने पति की यह बात सुनकर माता सती दुखी हो गयी , तब सती की यह दशा देखकर शिवजी ने उन्हें जाने की अनुमति दे दी | वे अपने पिता के घर गयी परन्तु वहां जाकर अपनी बहनों और परिजनों का व्यवहार देख कर वे अत्यंत दुखी हुई , केवल उनकी माँ ने उन्हें प्रेम से गले लगाया और सबने उनका अपमान किया , उनके पिता ने शिवजी के प्रति अपमान जनक शब्द कहे और उनका अपमान किया सती से यह सबकुछ सहन नहीं हुआ और हवन कुंड में उन्होंने अपना शरीर जलाकर भस्म कर दिया और अगले जन्म में शैलराज हिमालय की पुत्री के रूप में जन्म लिया और उनका नाम शैलपुत्री पड़ा |
 

माँ शैलपुत्री की व्रत कथा,मंत्र ,भोग और आरती की संपूर्ण जानकारी इस लेख में दी गयी है | आपको और आपके परिवार को इस नवरात्रि की हार्दिक शुभ कामनाएं | HAPPY NAVRATRI.

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