Sharad Navratri 2021 - नवरात्रि हमारे देश में मनाए जाने वाले त्योहारों में से एक है ,शारदीय नवरात्रि का बहुत महत्व है। इस वर्ष शारदीय नवरात्री 7 अक्टूबर से शुरू हो रही है,इस त्यहार में .माँ के अलग अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। वैसे तो यह त्यौहार पुरे देश में मनाया जाता है लेकिन उत्तर भारत ,महाराष्ट्र ,गुजरात और बंगाल में बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है | नवरात्रि में उपवास का बहुत महत्व है ,इस दौरान शराब ,मांस यहां तक कि लहसुन प्याज़ का सेवन भी नहीं करना चाहिए | गुजरात और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में गरबा और डंडिआ खेले जाते है |
नवरात्रि में उपवास का बहुत महत्व है,.कुछ लोग नौ दिन तक सिर्फ फलाहार करते है ,तो कुछ दिन भर व्रत रख कर शाम को सात्विक आहार लेते हैं ,और जो नौ दिन तक व्रत नहीं कर सकते हैं ,वे अष्टमी, नौमी का व्रत ज़रूर करते हैं | माँ दुर्गा शक्ति की देवी मानी जाती हैं और यह मान्यता है की माँ की आराधना करने से सारी ईच्छा पूर्ण होती है ,
नवरात्र के पहले दिन घट स्थापना की जाती है. नौ दिन तक उनकी विधि विधान से पूजा होती है ,अष्टमी नौमी में कन्या पूजन और हवन का विशेष महत्व है ,नवरात्रि में दुर्गा शप्तशती का पाठ करना चाहिए |
इस लेख में हम जानेंगे नवरात्रि का महत्व , कलश स्थापना तिथि व मुहूर्त ,माँ दुर्गा के 9 रूप और उनका महत्व |
sharad navratri 2021 घट स्थापना मुहूर्त
कलश स्थापना की तिथि 7 october 2021
कलश स्थापना शुभ मुहूर्त : 06 : 16 : 56 से 10: 11 : 33 तक
अवधि : 3 घंटे 54 मिनट
दुर्गा विसर्जन 2021 date /तारीख़ व मुहूर्त
दुर्गा विसर्जन तिथि – शुक्रवार 15 अक्टूबर 2021
विसर्जन मुहूर्त -06 : 21 ; 33 से 08 : 39 : 39
अवधि : 2 घंटे 18 मिनट
नवरात्रि का महत्व /Sharad Navratri 2021 Significance.
वर्ष में 4 नवरात्री आती है। १)शारदीय नवरात्री , २) चैत्र या बसंती नवरात्रि ,३) अषाढ़ नवरात्रि ,४) और पौष नवरात्रि ,इन में से शारदीय नवरात्रि और चैत्र नवरात्रि बहुत लोकप्रिय है | शरद ऋतु में पड़ने के कारण ही आश्विन नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि कहा जाता है | चैत्र नवरात्रि को बसंती नवरात्रि भी कहा जाता है क्योक़ि ये बसंत ऋतु में पड़ता है |और असाढ़ या पौष , माघ नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है , गुप्त नवरात्रि को त्यौहार के रूप में तो नहीं मनाया जाता परंतु तांत्रिक इस नवरात्रि को तंत्र विद्या प्राप्त करने के लिए देवी की पूजा करते हैं | नवरात्रि शब्द दो शब्दों का मेल है नौ और रात्रि यानि कि नौ राते।
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नवरात्रि कब है यह तो आप जान गए हैं , अब आइए जानते हैं sharad navratri 2021 माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों के बारे में और उनका महत्व |
माँ दुर्गा के नौ रूप और उनकी विशेषताएं
1 )माँ दुर्गा का प्रथम स्वरुप -माँ शैलपुत्री
दुर्गा माँ का पहला स्वरुप माँ शैलपुत्री हैं | पर्वतराज के घर पुत्री रूप में उत्पन्न होने के कारण उनका नाम शैलपुत्री पड़ा ,पहले नवरात्र में साधक अपने मन को मूलाधार चक्र में स्थित करते हैं और अपनी पूजा प्रारंभ करते हैं, माँ का वाहन वृषभ (बैल) है उनके हाथ में त्रिशूल और कमल है | उनकी आराधना से सुख व सिद्धि प्राप्त होती है |
2 )माँ दुर्गा का दूसरा रूप -माँ ब्रह्मचारिणी
माँ का दूसरा स्वरुप माँ ब्रह्मचारिणी हैं , ये देवी और नामों से भी जानी जाती हैं जैसे की तपश्चारिणी ,अपर्णा और उमा। नवरात्र के दूसरे दिन माँ ब्रम्हचारिणी की पूजा होती है ,ब्रम्हा का अर्थ है तपस्या और चारिणी का अर्थ है आचरण करने वाली माँ ब्रम्हचारिणी ,देवी के दाहिने हाथ अक्ष माला है और बाएं हाथ में कमण्डल होता है ,देवी की पूजा करने से साधक कठिन परिस्थितियों में भी विचलित नहीं होता |
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maa ke 9 swaroop |
3 )माँ दुर्गा का तीसरा रूप - माँ चंद्रघंटा
दुर्गा माँ का तीसरा स्वरुप माँ चंद्रघंटा हैं , माँ को सुगंध बहुत प्रिय हैं | यह देवी साधक को विनम्रता और निर्भयता प्रदान करती हैं | माँ की आराधना करने से साधक को वैभव ,सौभाग्य ,और शांति की प्राप्ति होती है |
4 )माँ दुर्गा का चौथा रूप -माँ कुष्मांडा
नवरात्र के चौथे दिन माँ कुष्मांडा की पूजा होती है , जो साधक सच्चे मन से माँ की भक्ति करते हैं उन्हें माँ आयु , यश , बल और आरोग्य प्रदान प्रदान करती हैं |
5 )माँ दुर्गा का पांचवा रूप - माँ स्कंद माता
माँ दुर्गा का पांचवा स्वरुप माँ स्कंद माता हैं ,माँ को लाल रंग के फूल बहुत प्रिय हैं ,सिंह उनकी सवारी है , उनकी चार भुजाएं हैं , वे अपने दो हाथों में पुष्प धारण करती हैं ,अपने दाहिने हाथ में स्कंद कुमार को पकड़ी हैं और दूसरे हाथ को अभय मुद्रा में रखती हैं | स्कंद की माँ होने के कारण माँ को स्कंदमाता कहा जाता है ,माँ पार्वती के दो पुत्र हैं | पहले कार्तिकेय (स्कंद ) और छोटे गणेश | माँ की पूजा करने से कार्तिकेय की कृपा भी प्राप्त होती है |
6 ) माँ दुर्गा का छठा रूप -माँ कात्यायनी
नवरात्र के छठवे दिन माँ कात्यायनी की पूजा होती है , माँ का रूप बेहद चमकदार है , माँ की
पूजा करने से सुखद वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद मिलता है | माँ कात्यायनी की पूजा करने से साधक को अर्थ ,काम, धर्म और मोक्ष की प्राप्ति होती है | माँ की आराधना करने से साधक रोग मुक्त हो जाता है और पाप भी कट जाते हैं | दरहसल महर्षि कात्यायन ने पुत्री प्राप्ति के लिए घोर तपस्या की , माँ भगवती ने उनकी तपस्या से प्रसन्ना होकर उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लिया , इसलिए यह देवी माँ कात्यायनी के नाम से प्रख्यात हैं |
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sharad navratri 2021 |
7 )माँ दुर्गा का सातवां रूप -माँ कालरात्रि
नवरात्र के सातवे दिन माँ कालरात्रि की उपासना की जाती है , वैसे तो माँ का स्वरुप बहुत भयानक है, परन्तु जो मनुष्य सच्चे मन से माँ की आराधना करते हैं, उन्हें किसी भी तरह का भय नहीं होता | माँ कालरात्रि दुष्टों का नाश करती हैं , जो मनुष्य माँ की आराधना करते हैं भूत प्रेत कभी उनके निकट नहीं आ सकते | नवरात्र में सप्तमी से देवी के दर्शन के लिए भक्त पूजा स्थल पर एकत्रित होते हैं |
नवरात्र में अष्टमी के दिन माँ महागौरी की पूजा होती है , माँ का नाम दो शब्दों के मेल से बना है , महा और गौरी ,महा यानि की महान / श्रेष्ठ और गौरी यानी गोरी | पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माता पार्वती ने भगवान् शिव को पाने के लिए घोर तपस्या की जिसके कारण उनका रंग कला पड़ गया था | उनकी तपस्या से शिवजी ने प्रसन्ना होकर देवी को शुद्ध गंगा जल से स्नान करवाया जिसके बाद माँ का रंग गोरा हो गया तब से माँ पार्वती माँ महागौरी के नाम से जानी जाने लगी |
माँ महागौरी स्वेत रंग के वस्त्र धारण करती हैं , उनकी चार भुजाएं हैं , उनकी सवारी वृषभ (बैल) है उनके एक दाहिने हाथ में त्रिशूल है वहीं दूसरे दाहिने हाथ से वह अभय मुद्रा धारण की हुई हैं, और बाए एक हाथ में डमरू व दूसरे हाथ से वे वर मुद्रा में हैं | अष्टमी के दिन माँ महागौरी को 16 श्रृंगार चढ़ाया जाता है इससे माँ प्रसन्ना होती हैं और अखंड सौभाग्य का वरदान देती हैं | माँ की आराधना करने से सुहागन को सौभाग्य प्राप्त होता है | कुंवारी कन्याएं भी मनचाहा वर पाने के लिए माँ की आराधना करती हैं
9 ) माँ का नौवां स्वरुप -माँ सिद्धिदात्री-sharad navratri 2021
नवमी के दिन माँ सिद्धिदात्री की पूजा अर्चना होती है , माँ सिद्धिदात्री कमल पर विराजमान हैं , उनकी चार भुजाएं हैं , हाथों में
कमल , शंख, गदा, और सुदर्शन चक्र धारण किए हुई हैं , माँ सिद्धिदात्री की आराधना करने से सिद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है | सिद्धि और मोक्ष की प्राप्ति के लिए देव ,ऋषि मुनि , यक्ष , किन्नर, दानव , साधक और गृहस्थी सब माता की उपासना करते हैं |अष्टमी नौमी में हवन का बहुत महत्व है बिना हवन के नवरात्र की पूजा /व्रत अधूरी मानी जाती है |
sharad navratri 2021 की संपूर्ण जानकारी इस लेख में दी गई है। माँ दुर्गा की कृपा आप पर बानी रहे "जय माता दी " "HAPPY NAVRATRI"
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