Putrada ekadashi 2022-संतान प्राप्ति के लिए उत्तम व्रत ऐसे करें पूजा, पढ़ें व्रत कथा.

 Putrada Ekadashi 2022-पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पौष पुत्रदा एकादशी कहा जाता है, इस वर्ष यह एकादशी 13 जनवरी को मनाई जाएगी। संतान प्राप्ति के लिए यह व्रत उत्तम माना गया है। पौष और श्रावण माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी, संतान प्राप्ति के लिए महत्वपूर्ण है। यदि यह व्रत संतान प्राप्ति के लिए रख रहे हैं, तो पति-पत्नी दोनों को विधि विधान से यह व्रत रखना चाहिए और श्री कृष्ण के बाल स्वरुप की पूजा करनी चाहिए। इस लेख में आपको पौष पुत्रदा एकादशी 2022 तिथि, शुभ मुहूर्त, पारण का समय, व्रत का महत्व, व्रत के नियम, पूजा विधि और व्रत कथा की संपूर्ण जानकारी दी जाएगी।

putrada ekadashi
Putrada Ekadashi
Paush Putrada Ekadashi date/पुत्रदा एकादशी कब है/शुभ मुहूर्त

Putrada Ekadashi 2022-Thursday 13 JANUARY 

एकादशी तिथि प्रारम्भ -12जनवरी 2022 - 04:49 PM से

एकादशी तिथि समाप्त -13 जनवरी 2022-  07:32 PM तक

Putrada Ekadashi fast breaking time/पुत्रदा एकादशी पारण समय

14 जनवरी - शुक्रवार, सुबह 07 बजकर 13 मिनट से सुबह 09 बजकर 21 मिनट तक

14  january - 7 : 15  am to 09 : 21 am

संतान प्राप्ति के लिए क्या करें ?

  • पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत पति पत्नी दोनों को विधि पूर्वक व्रत रखना चाहिए।
  • इसके लिए पति पत्नी को श्री कृष्ण की उपासना करनी चाहिए, श्री कृष्ण के बाल स्वरुप की पूजा करनी चाहिए।
  • उन्हें पिले फल, पिले फूल, तुलसी दल, और पंचामृत अवश्य अर्पित करें।
  • इसके बाद संतान गोपाल मंत्र का जाप करें,
  • ततपश्चात आरती करें और प्रशाद ग्रहण करें, बाल गोपाल को पंचामृत का भोग लगाएं
  • द्वादशी के दिन ब्राह्मण को भोजन कराएं और उचित दान दक्षिणा देकर विदा करें और व्रत पारण मुहूर्त में ही व्रत खोलें।

Putrada Ekadashi Puja Vidhi/पुत्रदा एकादशी पूजा विधि

  • यह व्रत दो प्रकार से रखा जाता है निर्जला या फलाहारी जो व्यक्ति पूर्ण रूप से स्वस्थ हैं, उन्हें ही निर्जला व्रत रखना चाहिए।
  • दशमी तिथि को सात्विक भोजन करना चाहिए,
  • एकादशी के दिन प्रातः काल स्नान आदि से निवृत होकर पूजा की तयारी करें।
  • हाथ में पुष्प लेकर व्रत का संकल्प लें। श्री हरी को पिले फूल, फल, पंचामृत,तुलसी दाल अर्पित करें।
  • आरती करें, व्रत कथा सुनें व पढ़ें, पौष पुत्रदा एकादशी में रात्रि जागरण का विशेष महत्व है।
  • द्वादशी के दिन ब्राह्मण को उचित दान दक्षिणा देकर विदा करें, और पारण मुहूर्त में ही व्रत का पारण करें।

पौष पुत्रदा एकादशी महत्व

  • Putrada Ekadashi 2021 /पौष पुत्रदा एकादशी का विशेष महत्व है।
  • इस व्रत के पुण्य से मनुष्य तपस्वी, विद्वान् और लक्ष्मीवान होता है।
  • जो मनुष्य इस महात्मय को पढ़ता या सुनता है उसे अंत में स्वर्ग की प्राप्ति है।
  • इस दिन व्रत करने से निःसंतान दम्पतियों को संतान सुख की प्राप्ति होती है।
ekadashi katha

Paush Putrada Ekadashi Katha /पौष पुत्रदा एकादशी कथा

पौराणिक कथा के अनुसार भद्रावती नामक नगरी में सुकेतुमान नामक राजा राज्य करता था, उनकी पत्नी शैव्या थी। उनकी कोई संतान नहीं थी। संतानहीन होने के कारण राजा अत्यंत दुखी रहते थे, वह सोचते थे की उनकी मृत्यु के बाद कौन पिंड दान करेगा। कौन आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध अनुष्ठान करेगा, मुझे परलोक में शांति कैसे मिलेगी। ऐसे में राजा ने दुखी होकर प्राण त्यागने का मन बना लिया, परन्तु आत्महत्या को महान पाप समझकर उन्होंने यह विचार अपने मन से निकाल दिया। अब राज पाठ में राजा का मन नहीं लग रहा था, वे जंगल की ओर चल पड़े।

जंगल में चलते चलते वे सोचने लगे की मैंने कई यज्ञ किए, ब्राह्मणों को स्वादिष्ट भोजन से तृप्त किया फिर भी मुझे यह दुःख क्यों ? कुछ दूर चलने के बाद राजा को प्यास लगी, पानी की तलाश में वे एक सरोवर के पास पहुंचे, वहां उन्होंने देखा की सरोवर के तट पर संतों का आश्रम है ! राजा आश्रम में गए और मुनियों को प्रणाम किया, राजा को देखकर मुनियों ने कहा ; हे राजन ! हम तुमसे अत्यंत प्रसन्ना हैं ! तुम्हारी क्या इच्छा है ?

राजा की बात सुनकर ऋषियों ने उन्हें पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत पालन करने का सुझाव दिया, ऋषियों की सलाह मानकर राजा वापस अपने राज्य चले गए और अपनी रानी के साथ पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत रखा। कुछ समय बाद रानी ने गर्भ धारण किया और नौ माह बाद एक पुत्र को जन्म दिया। वह राजकुमार अत्यंत शूरवीर, यशस्वी और प्रजापालक हुआ।

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FAQ

एक वर्ष में कितनी एकादशी होती है ?

वर्ष में 24 एकादशी आती है, एक शुक्ल पक्ष में और दूसरी कृष्ण पक्ष में, इस तरह एक माह में 2 एकादशी अति है और एक वर्ष में 24 एकादशी अति है ,और जिस वर्ष अधिक मास होता है तब इनकी संख्या 26 हो जाती है।

घर में सूतक,पातक, मृत्यु हुई हो क्या तब भी एकादशी का व्रत रखा जा सकता है ?

जी हाँ ! क्यूंकि एकादशी का व्रत कभी खंडित नहीं होता, कभी भी भंग नहीं होता है, यह एक भागवद विधि है और भागवद विधि इन सभी स्तरों से बहुत ऊपर है।

एकादशी का व्रत कौन रख सकता है ?

यह व्रत 5 वर्ष की उम्र से रखा जा सकता है, परिवार के सभी सदस्यों को एक साथ व्रत रखना चाहिए , बच्चों को एकादशी का व्रत रखने के लिए प्रेरित करना चाहिए।

एकादशी के दिन क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए ?

एकादशी के दिन किसी भी प्रकार का अन्न नहीं खाना चाहिए , ऐसी मान्यता है की एकादशी के दिन संसार के सारे पाप अन्न में होते हैं। यह व्रत 2 प्रकार से रखा जाता है निर्जल, फलाहार , जो व्रती स्वस्थ हैं उन्हें ही निर्जला व्रत रखना चाहिए, और जो व्रती फलाहार करते हैं उन्हें फल,दूध, दही,सिंगाड़े का आटा, शक़्कर,साबूदाना, मखाना, अदरक, सकरकंद, आलू , सेंधा नमक राजगिरा ये सब व्रत के भोजन में प्रयोग कर सकते हैं।

क्या एकादशी के दिन भगवान को अन्न का भोग लगाना चाहिए ?

हाँ ! नियम हमारे लिए है भगवान के लिए नहीं, लेकिन अगर अन्न का भोग लगाते हैं तो आपको वो प्रशाद द्वादशी के दिन खाना चाहिए, एकादशी के दिन अन्न का प्रशाद नहीं खाना चाहिए।

क्या एकादशी का व्रत रख कर भी दवाइयां खा सकते हैं ?

हाँ ! आप ज़रूरी दवाइयां खा सकते हैं ,भगवान हमारे माता पिता हैं वह हमे समझते हैं, आप दवाइयां खा कर भी एकादशी का व्रत रख सकते हैं । 

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