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Navratri Kalash Sthapana mantra step by step in Hindi and English

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Navratri Kalash sthapana mantra in Hindi and English   Let’s know about the very important thing in Durga Puja that is the Navratri Kalash sthapana  Mantra, Actually, Navratri starts with Kalash sthapana. it is performed on the first day of Navratri, In the same way, right mantras play a vital role in Kalash sthapana. So the mantras are as follows. ALSO READ - complete information on kalash sthapana to kalash visarjan 2021  Navratri kalash sthapana mantra 1)Navratri Kalash sthapana mantra 1 Touch the place under the Kalash and read the following mantra ॐ भूरसि भुमिरस्यदितिरसि विश्व- धाय  विश्वस्य भुवनस्य धर्त्री  |             पृथिवीं  यच्छ  पृथ्वीं  दृ  ह पृथिवीं  मा  हि  सी: || Om Bhurasi Bhumirasyaditirasi Vishva-Dhaya Vishvasya Bhuvanasya Dhartri | Prithivim Yachchha Prithivim Dri Ha Prithivim Maa     Hi, Sih || 2)Navratri Kalash sthapana mantra 2 Now take  clean soil and mix barley in it and drop at the place of sthapana and read this  mantra ॐ धान्यमासि  धिनुहि  देवान्  प्राणायत्

Chaitra Navratri 2021-date-जाने क्यों घोड़े से आ रही हैं माँ दुर्गा, क्यों माना जाता है इसे अशुभ संकेत

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  Chaitra Navratri 2021  -चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिप्रदा तिथि से नवरात्रि शुरू हो जाते है। इस बार यह तिथि 13 अप्रैल पड़ रही है। कलश स्थापना के साथ माँ दुर्गा के सभी स्वरूपों की पूजा आरम्भ हो जाएगा, नवरात्र का पावन पर्व पुरे नौ दिनों तक मनाया जाएगा , समापन 21 को होगा। नवरात्र में माँ दुर्गा की पूजा करने से सुख, समृद्धि और शांति आती है। Kalash sthapana mantra step by step in hindi and english Chaitra  Navratri  हिन्दू शास्त्रों के अनुसार किसी भी पूजा से पहले गणेशजी की आराधना करते हैं ,और उसके बाद घाट स्थापना की जाती है। कलश स्थापना जौ बोने, दुर्गा सप्तशती का पाठ करने, हवन और कन्या पूजा करने से दुर्गा प्रसन्न होती हैं. आइए जाने की कलश स्थापना क्यों करते हैं। हमारे पुराणों के अनुसार कलश को भगवान विष्णु का रूप माना जाता है। इसलिए लोग देवी की पूजा से पहले कलश की पूजा करते हैं और फिर पूजा में सभी देवी देवताओं को आमंत्रित किया जाता है। Chaitra Navratri 2021-Kalash Sthapana Shubh Muhurat /कलश स्थापना शुभ मुहूर्त कलश स्थापना मुहूर्त :- 13 अप्रैल सुबह 5 बजकर 45 मिनट से 13 अप्रैल सुबह 9 बजकर 59 मिन

Mahabharat Story In English-Summary Of The Ancient Epic Mahabharata.

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  Mahabharat Story In English -Mahabharata is one of the two major Sanskrit epics of ancient India and the other one is Ramayana, sage (rishi) Ved Vyas composed it. It is considered to be the longest epic poem, It contains 110000 shlokas (verses). Mahabharata was narrated by Ved Vyas and written by Lord Ganesha. It is about 4 times the length of  Ramayana Mahabharat READ THIS ALSO: 10 MAHABHARAT LESSONS-To Move Forward On The Path Of Success This is a Mahabharat Story in English, Bhagavad Gita is a part of Mahabharata, it is the teaching given to  Arjuna by Krishna the supreme lord before the Kurukshetra war. This war was between Kauravas and Pandavas. A person should perform Bhagavad Katha (puja), at least once in their entire life, to achieve moksha. The great war of Kurukshetra /Mahabharat Story In English The story in Mahabharata revolves between two groups of cousins of the same family. Kauravas's 100 brothers ( son of Dhritarashtra) and Pandavas 5 brothers ( son of Pandu),

Geeta Jayanti 2021 -जाने हिन्दू धर्म में गीता जयंती का विशेष महत्व।

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  Geeta Jayanti date - 14 december 2021 आज गीता जयंती है, हर वर्ष मार्गशीष मास के शुक्ल पक्ष की मोक्षदा एकादशी के दिन गीता जयंती मनाई जाती है। हिन्दू धर्म में आज के दिन का बहुत महत्व है, क्योंकि विश्व में यही एक ग्रन्थ है, जिसकी जयंती मनाई जाती है। द्वापर युग में महाभारत युद्ध से पहले अर्जुन को भगवान श्री कृष्ण ने गीता उपदेश दिए था। जीवन जीने की कला गीता में दी गयी है। श्रीमद्भागवत गीता मनुष्य को सही और गलत का अंतर सीखता है। आइए जानते हैं गीता जयंती का महत्व। गीता जयंती का महत्व कुरुक्षेत्र युद्ध में अर्जुन को भगवान श्री कृष्ण ने गीता का पाठ पढ़ाया था। गीता के श्लोक मनुष्य को किसी भी परिस्तिथि में धर्म की राह पर चलना सीखता है। जीवन जीने की अद्भुद कला गीता से हमे मिलती है। श्री कृष्ण ने गीता में अच्छे बुरे कर्मों का फर्क समझाया है। Geeta Jayanti in hindi /गीता जयंती मानाने का कारण  श्रीमद्भागवद गीता दुनिया का सबसे श्रेष्ठ ग्रंथ है। गीता जयंती मनाने का सबसे बड़ा कारण यह है, की अन्य ग्रन्थ इंसानों द्वारा संकलित किए गए हैं, पर यह महाग्रंथ स्वयं भगवान के श्री मुख से कही गयी है। इस दिन

Tulsi puja kaise karein aur kya hai pratidin tulsi puja ke niyam .

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  Tulsi puja -धार्मिक मान्यताओं के अनुसार घर में तुलसी का पौधा होना बहुत ही शुभ होता है। प्राचीन काल से ही घर में तुलसी का पौधा रखने की परंपरा रही है. तुलसी में देवी लक्ष्मी का वास होता है, यदि रोज सुबह -शाम घर में तुलसी के पौधे की पूजा होती है तो घर में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है, घर में नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है, घर में बुरी शक्तियां प्रवेश नहीं कर पाती, और वास्तु दोष भी समाप्त होता है। Tulsi puja हिन्दू धर्म में तुलसी के पौधे की पूजा को बेहद पवित्र माना गया है। तुलसी के पौधे की पूजा से मोक्ष की प्राप्ति होती है। जो लोग शाम के समय तुलसी के पास दीपक लगाते हैं, उनके घर में महालक्ष्मी की कृपा सदैव बनी रहती है।यह पौधा एक अकेला पौधा है, जो ओजोन गैस निकालता है। तुलसी औषधीय गुणों से भरपूर होती है। जो व्यक्ति निस्वार्थ भाव से तुलसी की पूजा करता है, उसके सारे पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस लेख में हम जानेंगे की तुलसी पूजा कैसे करें। पूजा में कौन से मंत्र बोलने चाहिए, पौधा कब लगाना चाहिए और कहाँ लगाना चाहिए, कब नहीं तोड़ना चाहिए, रविवार को पौधे में जल देन

Putrada ekadashi 2022-संतान प्राप्ति के लिए उत्तम व्रत ऐसे करें पूजा, पढ़ें व्रत कथा.

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  Putrada Ekadashi 2022-पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पौष पुत्रदा एकादशी कहा जाता है, इस वर्ष यह एकादशी 13 जनवरी को मनाई जाएगी। संतान प्राप्ति के लिए यह व्रत उत्तम माना गया है। पौष और श्रावण माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी, संतान प्राप्ति के लिए महत्वपूर्ण है। यदि यह व्रत संतान प्राप्ति के लिए रख रहे हैं, तो पति-पत्नी दोनों को विधि विधान से यह व्रत रखना चाहिए और श्री कृष्ण के बाल स्वरुप की पूजा करनी चाहिए। इस लेख में आपको पौष पुत्रदा एकादशी 2022 तिथि, शुभ मुहूर्त, पारण का समय, व्रत का महत्व, व्रत के नियम, पूजा विधि और व्रत कथा की संपूर्ण जानकारी दी जाएगी। Putrada Ekadashi Paush Putrada Ekadashi date/पुत्रदा एकादशी कब है/शुभ मुहूर्त Putrada Ekadashi 2022-Thursday 13 JANUARY  एकादशी तिथि प्रारम्भ -12जनवरी 2022 - 04:49 PM से एकादशी तिथि समाप्त -13 जनवरी 2022-  07:32 PM तक Putrada Ekadashi fast breaking time/पुत्रदा एकादशी पारण समय 14 जनवरी - शुक्रवार, सुबह 07 बजकर 13 मिनट से सुबह 09 बजकर 21 मिनट तक 14  january - 7 : 15  am to 09 : 21 am संतान प्राप्ति के लिए क्या